suvichar in hindi and utam anmol vachan
वेदान्त कोई पाप नहीं जानता , वो केवल त्रुटी जानता है .
वेदान्त कहता है कि सबसे बड़ी त्रुटी यह कहना है
कि तुम कमजोर हो , तुम पापी हो ,
एक तुच्छ प्राणी हो , और तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं है
और तुम ये वो नहीं कर सकते .
जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है
तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है .
भला हम भगवान को खोजने कहाँ जा सकते हैं
अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते .
तुम्हे अन्दर से बाहर की तरफ विकसित होना है .
कोई तुम्हे पढ़ा नहीं सकता , कोई तुम्हे आध्यात्मिक नहीं बना सकता .
तुम्हारी आत्मा के आलावा कोई और गुरु नहीं है .
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